सरकारी कागज़ी झूठ की बुनियाद पर खड़ा है बच्चों का भविष्य संवारने वाला ये निरतू का स्कूल!

छत्तीसगढ़ का एक जिला है बिलासपुर इस जिले की अपनी अलग पहचान है कभी न्यायधानी के रूप में तो कभी अरपा या बिलासा नगरी के रुप में लेकिन अब ये जिला धांधली और भ्रष्टाचार के मामलों में अपनी अलग पहचान छोड़ रहा है, इस जिले के सुदूर अंचल में बसा है एक बेहद खूबसूरत गांव, गांव का नाम है निरतू इस गांव में यहां के स्कूल शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला निरतू में इतना भ्रष्टाचार फैला हुआ है जिसका कोई हिसाब ही नहीं है. जो स्कूल बच्चों को भविष्य के भारत के लिए तैयार कर रहा है उसी स्कूल का वर्तमान भ्रष्टाचार की दलदल में धंसा हुआ है. आगे इन बिंदुओं से समझिए इस स्कूल में हो रही धांधलियों का लेखा-जोखा-

सरकारी स्कूल में दस्तावेज गायब

साल 2023 में इस स्कूल से कुछ सरकारी दस्तावेज ……… गायब हो चुके हैं लेकिन अब तक इस मामले में शाला द्वारा न तो किसी प्रकार का एफआईआर किया गया है और ना ही कहीं लिखित शिकायत दर्ज करायी गई है, इनता बड़ा मामला अब तक अधिकारियों की मेहरबानी में से ही छुपा हुआ है, सवाल करने पर ना तो स्कूल में मौजूद प्रधान पाठक साहब जवाब दे रहे हैं ना ही ऊपरी अधिकारी BEO साहब कुछ कहने को तैयार हैं, और हर बार वही रटा रटाया जवाब दे रहे हैं कि हमें नहीं पता दस्तावेज कहां गए. सोचिए कि अगर किसी को इस दौर का जरुरी दस्तावेज चाहिए होगा तो लोग कहां जाएंगे और किसका दरवाजा खटखटाएंगे ? जिम्मेदार लोगों से सवाल पूछने पर जवाब सिर्फ एक ही मिलता है “इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं है हमें इस बारे में नहीं पता”, मस्तूरी ब्लॉक के अधीन आने वाले इस स्कूल के शुरुआती अधिकारी यानी BEO (ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) साहब से बात करने पर पता चला कि ‘यहां जो पहले शिक्षक थे रंजीत सुदर्शन टंडन उनके समय में दस्तावेज गायब हुए थे अब हमें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है’.

RTI में विभागी अधिकारियों का जवाब गोलमोल

सूचना का आधिकार अधिनियम सन् 2005 के तहत इस स्कूल के बारे में चाही गई जानकारी –

विषयंकित संदर्भित पत्र के संदर्भ में लेख है कि सुचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत शा. प्रा. शाला निरतू के शिक्षक उपस्थिति पंजी की छाया प्रति सत्र 1960 से 2024 तक की प्रमाणित छाया प्रति चाही गई है…..

ये जानकारी आरटीआई के जवाब में जन सूचना अधिकारी द्वारा भेजा गया है

अब हम वह जानकारी भी आपके साथ साझा कर रहे हैं जो प्रधान पाठक के द्वारा जन सूचना अधिकारी साहब को भेजा गया है –

इस लेटर में वर्तमान प्रधान पाठक जगतराम लास्कर ने साफ साफ लिख कर बीइओ साहब को भेजा है कि उक्त उपस्थिति पंजी 1958 से लेकिन 2024 तक का दस्तावेज गायब है, लेकिन जन सूचना अधिकारी साहब ने जो जवाब आरटीआई कार्यकर्ता को भेजा है उसमें लिखा गया है, चाही गई जानकारी निजी है इस लिए जानकारी नहीं दी जा सकती. चलिए मान लेते हैं कि दस्तावेज चोरी हो गया है तो फिर उसकी शिकायत कहां की गई है, और शिकायत की कॉपी क्यों नहीं साझा की गई है. और दूसरी बात ये मांगी गई जानकारी किसी भी प्रकार से निजी जानकारी नहीं है, इसका मतलब साफ है कि जन सूचना अधिकारी ने प्रधान पाठक के जवाब को तोड़ मरोड़ कर आरटीआई में पेश किया है.

यह सिर्फ अकेला मामला नहीं है जन सूचना अधिकारी ने कई सारी जानकारी का जवाब ऐसी ही काम चलाऊ दिया है. अब आप खूद ही सोचिए कि जिस स्कूल के प्रधान पाठक से लेकर जन सूचना अधिकारी तक जानकारियों को घूमा फिरा कर प्रस्तूत कर रहे हैं उस स्कूल में पढ़ रहे बच्चे कल को क्या सीखेंगे.

अब आखिरी में उस शख्स का बयान सुनते हैं जिसके सिर पर जन सूचना अधिकारी और प्रधान पाठक ठीकरा फोड़ रहे हैं

बाइट – रंजीत सुदर्शन टंडन, पूर्व प्रधान पाठक निरतू स्कूल

स्कूल में बच्चों से बेझिझक काम कराने वाले शिक्षक पर कोई अब तक कोई कार्रवाई नहीं, कौन दे रहा सहारा?

YT

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