उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कोटद्वार स्थित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने शुक्रवार, 30 मई 2025 को अंकिता भंडारी हत्याकांड में तीनों आरोपियों—पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता—को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही प्रत्येक पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया गया और पीड़ित परिवार को ₹4 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया गया।
मामला क्या था?
19 वर्षीय अंकिता भंडारी यमकेश्वर के वनंत्रा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्यरत थीं। 18 सितंबर 2022 को उन्हें कथित रूप से ‘विशेष सेवाएं’ देने के लिए मजबूर किया गया, जिसका उन्होंने विरोध किया। इसके बाद पुलकित आर्य और उसके सहयोगियों ने उन्हें ऋषिकेश के चिल्ला नहर में धक्का देकर हत्या कर दी। 24 सितंबर को उनका शव बरामद हुआ।
जांच
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया। SIT ने 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की और 47 गवाहों के बयान दर्ज किए। अदालत ने IPC की धारा 302 (हत्या), 354A (यौन उत्पीड़न), 120B (आपराधिक साजिश) और 201 (साक्ष्य मिटाने) के तहत तीनों आरोपियों को दोषी पाया।
राजनीतिक प्रभाव
मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का पुत्र है। मामले के उजागर होने के बाद भाजपा ने विनोद आर्य और उनके अन्य पुत्र अनिकेत आर्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया। मामले ने उत्तराखंड में महिला सुरक्षा और राजनीतिक प्रभाव के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए।
पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया
अंकिता की मां ने दोषियों को मृत्युदंड देने की मांग की थी। हालांकि, अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। परिवार ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन वे उच्च न्यायालय में अपील कर सख्त सजा की मांग करेंगे।