बलौदा के हृदय यानी बुधवारी बाजार में एक बहुत सुंदर सा स्कूल है, स्कूल का नाम है पीएमश्री कन्या प्राथमिक स्कूल. ये वही स्कूल है जिसकी खबर हमने आपको पहले भी दिखायी थी कि यहां के शिक्षकों द्वारा छोटे-छोटे मासूम बच्चों से भारी भरकम काम कराया जा रहा था- इस खबर कि जानकारी आपको नीचे दिए हुए लिंक में मिल जाएगी –
अब इस गैर जिम्मेदार स्कूल का एक और नया मामला सुनिए – इस स्कूल में पत्रकार व RTI एक्टिविस्ट विजय महंत के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत – समग्र शिक्षा एवं अन्य मदो से प्राप्त शाला अनुदान राशि के क्रय किए गए समाग्रियों के बिल व्हाउचर की प्रमाणित सत्यापित प्रतिलिपि की कॉपी चाही गयी थी.
स्कूल की हेडमास्टर मैडम ने बड़ी ही ईमानदारी से 43 पन्नों की जानकारी भी दे दी, अब समस्या यह है कि संलग्न किए गए कई सारे बिल्स में बिल देने वाले दुकानदारों ने तारीख लिखी ही नहीं थी. कुछ बिल्स की कॉपी आप खुद भी देख लीजिए-
मैडम ने RTI का जवाब देने के लिए जब दस्तावेज खंगाला तो जिस पेन से अपना दस्तखत करने वाली थी उसी पेन से अपनी ही राइटिंग में फोटोकॉपी पेपर्स पर तारीख को लिखा दिया.
जब एक्टिविस्ट द्वारा मैडम से फर्जी बिल्स और फर्जी तारीख के मामले में जानकारी मांगी गई तो मैडम बौखला गयीं और ये कहते हुए अपने कार्यालय से बाहर निकल गयी कि दस्तखत तो मेरे हैं लेकिन तारीख उनके साथ काम करने वाले किसी अन्य शिक्षक ने डाला है जिसकी जानकारी मुझे नहीं है, मैं किसी भी तरह की जानकारी आपको नहीं दे सकती. आप खुद भी देखें कि बिल्स पर अलग से कैसे फर्जी तारीख डाल कर दस्तखत किया गया है.
मैडम को मामला निपटाने की इतनी जल्दी थी कि उन्होंने कई सारे बिल को टोटल किए बिना ही पेमेंट कर दिया है-
तारीख के साथ हेरफेर कर RTI का जवाब में देने वाली मैडम का नाम है लक्ष्मी भारद्वाज. मैडम से इन सब मामलों की जानकारी के सिलसिले में और भी सवाल पूछे गए तो मैडम मैं जवाब नहीं दे सकती कहते हुए कार्यलय से भाग खड़ी हुई. जब उनसे फिर से सावल पूछा गया तो उनका कहना है कि मैने जिनको जिम्मेदारी दी है उनसे बात करके ही जवाब दूंगी मेरे स्कूल में आज शिक्षक नहीं आए हैं कहते हुए फिर से कन्नी काट कर मैडम चलती बनी. जबकि सारे दस्तावेजों में साइन और ठप्पा मैडम ने लगाया है. हो सकता है मैडम को अपने सह कर्मियों पर इतना भरोसा है कि वे उनके कामों को बिना देखे ही मान लेती हैं और अपना पद का ठप्पा इनके कर्मों की कॉपी पर लगा देती हैं?
अब सवाल यह है कि ये फर्जी तारीखों वाले बिल्स पर अधिकारियों की नजर अब तक पड़ी कैसे नहीं. और क्या इस मामले की शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी साहब मामले को गंभीरता से लेंगे?