सीरियल किलर्स…समाचार या कहानियों में ये शब्द सुनते ही लोगों को इनके बारे में जानने की इच्छा बढ़ जाती है कि इनके अपराध का पैटर्न क्या रहा होगा, ये अपराधी मासूम लोगों को मारने के लिए कौन से हथकंडे अपनाते थे. ऐसे ही सीरियल किलर्स के बारे में आपको बताने के लिए पगडंडी खबर समय समय भारत देश के कुख्यात सीरियल किलर्स की कहानी लेकर आता है.
आज हम आपको जिस सीरियल किलर की कहानी बताने जा रहे हैं उसने हत्या करने में तो वर्ल्ड रिकॉर्ड ही बना दिया. यह किलर इतना खतरनाक था कि इसके बारे में सुनकर अंग्रेज भी किवाड़ के छिपने लग जाते थे. ये किलर जिस भी रास्ते पर जाता था वहां पर लाशों का ढेर लग जाता था. इस अपराधी को लोगों को मौत की नींद सुलाने में बहुत मजा आता था. कुल मिला कर इस आदमी के लिए एक शब्द कहें तो ये शख्स दहशत का पर्याय था. इस किलर के गिरोह में 200 लोग शामिल थे. जो लोगों की भीड़ में शामिल होकर पहले तो उनको लूट लेते थे उसके बाद उनकी बेरहमी से हत्या आगे बढ़ जाते थे. पकड़े जाने से पहले तक इस अपराध गिरोह ने लगभग 931 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.
भारत का सबसे खूंखार डकैत कहा जाने वाले इस बदमाश का नाम बहराम (Thug Bahram) था. उसका जन्म वर्ष 1765 में मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ था. बचपन में उसकी दोस्ती अपने से 25 साल बड़े कुख्यात ठग से हो गई. उसकी संगत में आते ही उसकी जिंदगी गलत राह पर मुड़ती चली गई. अमीर अली ने उसे ठगी, हत्या और लूट के गुर सिखाए. करीब 25 साल की उम्र में बहराम (Thug Bahram) ठगों की दुनिया का सरदार बन बैठा. उसके गिरोह में 200 क्रूर हत्यारे शामिल थे. करीब 10 साल में ही बहराम ने इतनी लूट और हत्याओं को अंजाम दे दिया कि लोग उसके नाम से ही कांपने लगे. बहराम के निशाने पर व्यापारियों के काफिले, तीर्थ यात्रियों के समूह और शादी-समारोह की बारातें रहती थीं.
योजना के तहत गिरोह के लोग भेष बदलकर व्यापारियों के काफिले, तीर्थयात्रियों के समूहों और बारातों में शामिल हो जाते. और मौका मिलते ही ये भीड़ में से लोगों को एक एक कर मारने लग जाते फिर उन्हें गायाब कर लूट को अंजाम देते थे. फिर बहरम के साथी मरे हुए लोगों वहीं मिट्टी में दफना कर आगे बढ़ जाते थे ताकि किसी को लाश तक ना मिले. इनमें से 150 हत्याएं अकेले बहराम ने कीं. लोगों को मारने के लिए वह खास तरीका अपनाता था. वह हमेशा अपने पास एक पीला रुमाल रखता था, जिसमें एक सिक्का होता था. वह शिकार के गले में रुमाल का फंदा लगाता और फिर उसमें मौजूद सिक्के से गला घोंटकर पीड़ित का मर्डर कर देता.
जिस वक्त ये घटनाएं हो रही थीं, उस वक्त देश में अंग्रेजों का राज था. बड़ी संख्या में लोगों के गायब होने से परेशान अंग्रेजी सरकार ने ब्रिटेन से 5 अफसरों की टीम जांच के लिए भेजी. टीम ने भागदौड़ के बाद यह तो पता लगा लिया कि इन वारदातों के पीछे बहराम गिरोह का हाथ है लेकिन वह किसी को पकड़ नहीं पाई.
बहराम गिरोह (Thug Bahram) की क्रूरता 1790 से लेकर 1840 तक जारी रही. अंग्रेजों ने करीब 15 साल तक कई शहरों की खाक छानी. जब अंग्रेज को बेहरम की कोई जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने उसके गुरु के परिवार को गिरफ्तार कर प्रताड़ना शुरु कर दिया अपने परिवार को बचाने के लिए बहरम के गुरु ने ही बहरम के ठिकाने की जानकारी अंग्रेजों के दे दी. जब बहरम गिरफ्तार हुआ उस वक्त उसकी उम्र 75 साल थी. फिर गिरोह के बाकी लोगों को भी एक एक कर पकड़ गया. फिर अंग्रेज शासन ने उस गिरोह के सभी लोगों को फांसी पर लटका दिया.
अगर आपके पास भी है कोई कहानी तो हमें 9301257181 पर व्हाट्सअप करें आप हम अपने पेज में देंगे आपकी कहानी को जगह….