नालन्दा: नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘स्वाधीनता आन्दोलन और हिन्दी पत्रकारिता’ विषयक दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनाँक 28-29 अक्टूबर, 2024 को सत्तपण्णी सभागार, आचार्य नागार्जुन संकाय भवन, नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा में आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में 29 अक्टूबर को इस दो-दिवसीय मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए प्रो. बीरेन्द्र नारायण यादव, माननीय सदस्य, बिहार विधान परिषद् ने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन में महापण्डित राहुल सांकृत्यायन का योगदान अतुलनीय रहा है। उन्होंने बिहार के छपरा में असहयोग आन्दोलन में नेतृत्व किया और किसानों, मजदूरों एवं आमजनों के साथ मिलकर अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ कार्य किया। वे ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ लिखते और कई बार गिरफ्तार हुए और जेल गये। वे बौद्ध विद्या के अधिकारी विद्वान थे और 150 से भी अधिक पुस्तकों के लेखक और सम्पादक का कार्य उन्होंने किया था।
विशिष्ट अतिथि प्रो. कलानाथ मिश्र, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, अनुग्रह नारायण कॉलेज, पटना ने कहा कि आज की पत्रकारिता जिस प्रकार से खतरे में है, वैसी ही स्थिति अंग्रेजी हुकुमत के समय में थी और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर लगाम लगाने के लिए प्रेस और पत्रकारिता से सम्बन्धित अधिनियम और कानून अंग्रेजी हुकुमत ले आती थी। आज की पत्र्रकारिता बाज़ारवाद से प्रभावित हो चुकी है, जिसे हमें समझने और उसका स्वरूप बदलने की जरूरत है।
बतौर सारस्वत अतिथि प्रो. राणा पुरूषोत्तम कुमार सिंह, आचार्य, बौद्ध अध्ययन विभाग ने मीडिया के कार्पोरेटाइजेशन पर चिन्ता जताई और कहा कि विज्ञापनों ने हमारे जीवन पर ऐसा प्रभाव डाला है कि एक तीन साल का बच्चा टीवी में विज्ञापनों को देख प्रभावित हो उन वस्तुओं की माँग करता है। साथ ही उन्होंने पारिस्थितकी एवं वैवाहिक जीवन पर कार्पोरेटाइजेशन के बढ़ते प्रभाव पर भी प्रकाश डाला।
प्रो. बिनोद कुमार चौधरी, संकाय प्रमुख, बौद्ध अध्ययन संकाय ने कहा कि स्वत्रंतता आन्दोलन में पत्रकारों ने कलम की ताकत से अंग्रेजी हुकुमत का विरोध किया। प्रो. श्रीकान्त सिंह, अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग ने कहा कि पत्रकारों ने राष्ट्र के लिए अपने हितों का बलिदान किया, कई बार जेल गए और न जाने कितनी यातनायें सही। प्रो. विजय कुमार कर्ण विद्यार्थी कल्याण अधिष्ठाता ने महर्षि नारद को प्रथम पत्रकार बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. हरे कृष्ण तिवारी ने कहा कि इस दो दिवसीय संगोष्ठी स्वतंत्रता आन्दोलन एवं हिन्दी पत्रकारिता पर गहन चर्चा हुई। स्वाधीनता आन्दोलन केवल राजनैतिक स्वतंत्रता का आन्दोलन नहीं था, अपितु सामाजिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता का भी आन्दोलन था। उसमें छूआ-छूत, ज़ुल्म, शोषण, जमींदारी उन्मूलन जैसे सामजिक एवं आर्थिक मुद्दे भी शामिल थे। आगे उन्होंने कहा कि पत्रकारों को सच बोलने एवं सच लिखने का अदम्य साहस होना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन एवं संगोष्ठी के रिपोर्ट प्रस्तुतिकरण धम्म रतन, शोधार्थी बौद्ध अध्ययन विभाग ने किया और धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी संयोजक डॉ. अनुराग शर्मा, सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग ने किया। कार्यक्रम में प्रो. हितेन्द्र कुमार मिश्र, प्रो. विनोद कुमार मिश्र, प्रो. आतिश पराशर, प्रो. विश्वजीत कुमार, प्रो. चन्द्रभूषण मिश्र, प्रो. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव, डॉ. अरूण कुमार यादव, डॉ. नरेन्द्रदत्त तिवारी, डॉ. कृष्ण कुमार पाण्डेय, डॉ. शैलेन्द्र वर्मा, डॉ. अवनीश मिश्र, डॉ. धर्मेन्द्र कुमार, डॉ. विवेक वर्धन, युवा कवि प्रखर शर्मा, वर्षा कुमारी, स्निग्धा सिंह, रौनक कुमार, ठाकुर रवि प्रताप चौहान, संजय सिन्हा, अविनाश पाण्डेय, शिवम् द्विवेदी, शिवम् पाण्डेय, गौतम विकास, रवि कुमार, संतोष कुमार, नन्दकिशोर कुमार सहित भारत के विभिन्न राज्यों से आये हुए अतिथि विद्वानों सहित महाविहार के आचार्य, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।