छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 100 साल पुराने जर्जर मिशन अस्पताल परिसर पर नगर निगम ने बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की है। सुबह 6 बजे से अतिक्रमण दस्ते के 10 बुलडोजर अस्पताल भवन को ध्वस्त करने में लगे थे, क्योंकि यहां करोड़ों की सरकारी जमीन पर व्यावसायिक उपयोग हो रहा था। जिला प्रशासन और नगर निगम की संयुक्त टीम ने यह कार्रवाई की। कमिश्नर कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के आदेश को सही ठहराया था, जिसके तहत अस्पताल के ओपीडी, आईसीयू और अन्य हिस्सों को कब्जा कर लिया गया था।
मिशन अस्पताल की स्थापना 1885 में हुई थी और इसे लीज पर दिया गया था। लीज की अवधि 2014 में समाप्त हो गई थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसका नवीनीकरण नहीं कराया। 2024 में नजूल न्यायालय ने लीज नवीनीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया, जिसके बाद मिशन प्रबंधन ने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। इसके बाद अस्पताल परिसर पर व्यावसायिक उपयोग हो रहा था, जिसमें अस्पताल का संचालन भी अस्थायी रूप से न्यू वंदना अस्पताल के नाम से किया जा रहा था।
मिशन अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. रमन जोगी ने कलेक्टर को पत्र लिखकर प्रशासन को अस्पताल के विभिन्न हिस्सों को सौंपने की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद अस्पताल का संचालन जारी था। अस्पताल में डॉक्टरों के चैंबर और ओपीडी पहले की तरह चल रहे थे, और परिसर में मेडिकल स्टोर भी काम कर रहा था, जहां दवाइयां उपलब्ध होती थीं। इसके अलावा, अस्पताल परिसर के मकान किराए पर दिए गए थे, और लोग अब भी वहां रह रहे थे।
इसके बाद जिला प्रशासन ने अस्पताल परिसर को अपने कब्जे में ले लिया, लेकिन कब्जे के बावजूद भी अस्पताल का संचालन हो रहा था। मुख्य अस्पताल के पीछे स्थित लाल रंग की बिल्डिंग में नर्सिंग कॉलेज का ऑफिस खोला गया था, और विधायक निधि से अस्पताल में सुविधाएं भी दी गई थीं। लीज निरस्त होने के बाद, जिला प्रशासन ने परिसर को अपने नियंत्रण में लिया, पर कब्जे के बावजूद यह कार्यवाही पूरी नहीं हो रही थी।