ऑपरेशन सिंदूर की हीरो विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर जातिसूचक टिप्पणी, रामगोपाल यादव विवादों में

विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी साहसिक भूमिका और नेतृत्व से न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत को प्रदर्शित किया, बल्कि देश की महिला सैन्य अधिकारियों की क्षमता को भी रेखांकित किया। लखनऊ में जन्मी और पढ़ी-लिखी व्योमिका ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और NCC कैडेट के रूप में सैन्य अनुशासन की शुरुआत की। 2004 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त करने वाली वह पहली महिला हेलीकॉप्टर पायलटों में से एक हैं, जिन्होंने चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों पर 2500 से अधिक घंटे की उड़ान भरी। उनकी शादी हरियाणा के भिवानी जिले के बापोड़ा गांव में विंग कमांडर दिनेश सिंह सभ्रवाल से हुई, जो स्वयं वायुसेना में हैं।

ऑपरेशन सिंदूर में व्योमिका ने हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया और जटिल परिस्थितियों में त्वरित निर्णय लेकर मिशन को सफल बनाया। यह ऑपरेशन, जो 6-7 मई 2025 को पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए शुरू किया गया, पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। व्योमिका ने कर्नल सोफिया कुरैशी के साथ मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऑपरेशन की जानकारी दी, जिसने उनकी नेतृत्व क्षमता और सैन्य कौशल को दुनिया के सामने ला दिया।

हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बीच, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव की जातिसूचक टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया। यादव ने व्योमिका सिंह को “हरियाणा की जाटव” और एयर मार्शल एके भारती को “पूर्णिया के यादव” कहकर उनकी जाति और पृष्ठभूमि पर टिप्पणी की, जो अनुचित और अपमानजनक थी। इस बयान में कर्नल सोफिया कुरैशी को “मुसलमान समझकर गाली देने” का भी जिक्र किया गया, जिसने सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर नाराजगी पैदा की।

यह टिप्पणी न केवल व्योमिका की पेशेवर उपलब्धियों को कमतर करने की कोशिश थी, बल्कि सैन्य अधिकारियों की योग्यता को उनकी जाति या धर्म से जोड़कर देखने की गलत मानसिकता को भी दर्शाती है। व्योमिका सिंह ने अपने करियर में बार-बार साबित किया है कि साहस, कौशल और नेतृत्व का कोई जाति या धर्म नहीं होता। 2021 में माउंट मणिरंग की चढ़ाई करने वाली वायुसेना की महिला टीम का हिस्सा रहकर भी उन्होंने इतिहास रचा था।

इस विवाद के बावजूद, व्योमिका सिंह का योगदान और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। उनकी कहानी न केवल युवाओं, खासकर महिलाओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह भी सिखाती है कि कर्तव्य और देशभक्ति किसी भी सामाजिक पूर्वाग्रह से ऊपर हैं।

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