महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जब भक्त रात्रि जागरण, उपवास और शिव पूजा करते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन का उत्सव मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन की गई शिव पूजा से भक्तों को समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
खगोलीय घटनाक्रम
महाशिवरात्रि 2025 के दौरान विशेष खगोलीय घटनाएँ घटित होंगी जो इसे और अधिक महत्वपूर्ण बनाती हैं। खगोलीय दृष्टि से, इस दिन चंद्रमा अपने सबसे न्यूनतम बिंदु (Perigee) के करीब होगा, जिससे उसकी चमक और प्रभाव अधिक रहेगा।
तिथि: 26 फरवरी 2025
चंद्र स्थिति: इस दिन चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेगा, जो भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
ग्रह गोचर: इस दिन शनि और बृहस्पति का संयोग मीन राशि में होगा, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति का संकेत देता है।
सौर गतिविधि: वैज्ञानिकों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन सूर्य और पृथ्वी की स्थिति ऐसी होती है कि इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार अधिक होता है।
ग्रह दशा और ज्योतिषीय महत्व
महाशिवरात्रि 2025 की ग्रह दशा विशेष रूप से भक्तों के लिए लाभकारी मानी जा रही है। चंद्रमा और शनि का संयोग: इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा वृश्चिक राशि में स्थित रहेगा और शनि मीन राशि में गोचर करेगा। शनि के प्रभाव से भक्तों को तप, संयम और ध्यान की शक्ति प्राप्त होगी। राहु और केतु की स्थिति: राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में रहेंगे, जिससे आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान में वृद्धि होगी।सूर्य और शनि का योग: मकर राशि में सूर्य और शनि का मिलन होने से कर्म योग और तपस्या के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होगा। बृहस्पति का प्रभाव: बृहस्पति मीन राशि में गोचर करेगा, जो धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ रहेगा।
महाशिवरात्रि का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
महाशिवरात्रि को लेकर कई धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएँ प्रसिद्ध हैं। शिव-पार्वती विवाह: मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस कारण यह दिन विवाह योग्य कन्याओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। सृष्टि का आरंभ: पुराणों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने अपने तांडव नृत्य के माध्यम से सृष्टि, संहार और पुनः सृजन का चक्र चलाया था। लिंगोद्भव कथा: शिव पुराण के अनुसार, महाशि वरात्रि की रात भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इस कारण, इस दिन शिवलिंग का विशेष पूजन किया जाता है। संपूर्ण रात्रि जागरण का महत्व: मान्यता है कि इस दिन रात्रि जागरण और ध्यान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और वह मोक्ष प्राप्त करता है।
महाशिवरात्रि 2025 के विशेष मुहूर्त
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर विशेष मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी रहेगा।
शिवरात्रि प्रारंभ: 26 फरवरी 2025, शाम 06:30 बजे
शिवरात्रि समापन: 27 फरवरी 2025, सुबह 05:45 बजे
निशिता काल पूजा मुहूर्त: 26 फरवरी रात 12:10 से 01:00 बजे तक
प्रदोष काल पूजा: 26 फरवरी शाम 06:20 से 08:50 बजे तक
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 26 फरवरी दोपहर 02:45 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 27 फरवरी दोपहर 03:15 बजे तक
महाशिवरात्रि पूजन विधि और अनुष्ठान
महाशिवरात्रि की रात चार प्रहरों में विभाजित होती है और प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
- स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग अभिषेक: दूध, गंगाजल, शहद, दही, बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि से अभिषेक करें।
- मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
- रात्रि जागरण: रात भर भजन-कीर्तन और शिव कथाओं का श्रवण करें।
- चार प्रहर की पूजा: प्रत्येक प्रहर में शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, और अन्य पूजन सामग्रियों से अभिषेक करें।
महाशिवरात्रि 2025 एक विशेष अवसर है जब भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन की गई पूजा, व्रत, और रात्रि जागरण जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करते हैं। इस वर्ष विशेष खगोलीय और ज्योतिषीय संयोग इस पर्व को और अधिक महत्वपूर्ण बना रहे हैं। शिव भक्तों के लिए यह दिन असीम आस्था और श्रद्धा से परिपूर्ण होगा।