गंदा पानी पीने को मजबूर हैं कोरबी स्कूल के बच्चे. प्रशासन नहीं ले रहा सुध.

संवाददाता – नवीन महंत

सरकारी शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार कई बड़े कदम उठा रही है, खबरों में इस बात की समय समय पर वाहवाही भी आप पढ़ते और सुनते होंगे लेकिन जरा आप अपने आस-पास के सरकारी स्कूलों की हालात पर नजर डालिए कि वहां कि शिक्षा व्यवस्था कैसी है और सबसे जरुरी बात स्कूल बिल्डिंग की हालात कैसी है?

एक तरफ तो हम देखते हैं प्राइवेट स्कूलों की व्यवस्था जहां बच्चों के लिए सुंदर वातावरण है जहां वे शांत दिमाग से पढ़ सकें खेल सकें, साफ पानी के लिए वाटर फिल्टर. इनडोर और ऑउटडोर गेम्स के लिए अलग से जोन भी बने होते हैं, प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों कि क्वालिटी को भी चेक कर उनको बच्चों को पढ़ाने का काम दिया जाता है. लेकिन दूसरी ओर आप अपने गांव के सरकारी स्कूलों की हालातों पर गौर कीजिए- वहां ना बच्चों की बैठने के लिए सही व्यवस्था है, ना पीने का साफ पानी, ना ही खेलने की जगह, एकआधा स्कूलों में मैदान है लेकिन उसमें भी गंदगी और शराब की बोतलों के फूटे हुए कांच आपको दिख जाएंगे.

गांव के बच्चों को उनके मां बाप मजबूरी में ऐसी ही लचर व्यवस्था वाले सरकारी स्कूलों में अपना भविष्य संवारने के लिए दाखिल तो करा देते हैं लेकिन कभी पलट कर शिक्षा विभाग से सवाल नहीं करते कि उनके बच्चों के लिए क्या क्या काम हो रहे हैं? जबकि ये उनका हक है.

ये जांजगीर चांपा जिले के ग्राम कोरबी का सरकारी स्कूल है, तस्वीर में आप खूद इस स्कूल की माली हालात को देखिए –

स्कूल की ये बिल्डिंग जर्जर होने की कगार पर है, भवन के उपर पेड़ उग चुके हैं लेकिन रोज पढ़ाने आ रहे गुरुजी की नजर इस बात की ओर नहीं गयी, दरवाजों की हालात भी आप खुद ही देख लीजिए रखरखाव और देखरेख के बिना ये स्कूल खंडर की तरह नजर आ रहा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार दुनियाभर में 80 प्रतिशत बीमारियां पानी के दूषित होने से ही होती है. और यहां आप बोरिंग की व्यवस्था देखिए, इसी नल से निकले वाले दूषित पानी को स्कूल के बच्चे दिन में कई बार पीते हैं. उपर से बाहर खुले में होने की वजह से शरारती तत्वों के द्वारा पानी के साथ खिलवाड़ भी किया जा सकता है, जिसका नुकसान इस नल से पानी पीने वाले बच्चों को होगा. रोज अपनी फटफटी में बच्चों पढ़ाने आने वाले गुरुजी और सरपंच साहब के नजर से इतनी बड़ी बात रोज नजरअंदाज हो कैसे जाती है?

और यहां तो धांधली की हद ही हो गयी है, देखिए स्कूल की सुरक्षा कैसे रस्सियों के सहारे टिकी हुई है. शाला विकास के लिए जो समितियां हैं उनके पास ताला खरीदने तक के पैसे नहीं हैं?

इन तस्वीरों में तो आपको सिर्फ जिले के एक ही स्कूल का हाल समझ आया होगा लेकिन जिलेभर में ऐसे सैकड़ों स्कूल हैं जिनकी हालात आपसे देखी नहीं जाएगी, लेकिन फिर भी गरीबों के बच्चें ऐसे लचर व्यवस्था में अपना भविष्य संवारने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. और खासकर जांजगीर चांपा जिले की शिक्षा व्यवस्था पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा खराब है, यहां जिला शिक्षा अधिकारी से डायरेक्ट शिकायत करने के बावजूद भी कोई एक्शन नहीं होता. ऐसे में शिक्षा और व्यवस्था का स्तर जाएगा कहां आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए.

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