अब कहां खड़ा है मीडिया ?

किसी ने क्या खूब कहा कि आजादी के पहले मीडिया तेजस्वनी, ओजस्विनी और क्रांतिकारी रही थी, देश की आजादी से पहले मीडिया के पास आजादी एक बड़ा मकसद था जिसके लिए लिखने वालों ने अपनी पेट की भूख, सुख सुविधाओं का ध्यान रखे बिना सिर्फ देश के लिए लिखा.
लोगों तक अपनी बात बिलकुल वैसी ही पहुंचायी जैसे वे आजादी के संदर्भ में सोचते थे, लेकिन आजाद हो जाने के बाद मीडिया के पास क्या मकसद बचा? उस दौर में जो कलम के सिपाही रहे आजाद होने के बाद वही कलम उनका पेट भी ठीक से नहीं भर पायी. फिर मीडिया में शुरु हुआ बाजारवाद, मीडिया ने नए दौर के साथ अपना स्वरूप बदला लेखन के साथ थोड़ी कमायी को भी अपनाया. सिलसिला चलता रहा फिर आज का दौर है जिसे आप सभी जान ही रहे हैं कि अब मीडिया काम कैसे करता है? एक चैनल को चलने में जितना मसाला चाहिए मीडिया उतने में सिमट गया है. अब बाजार वादी मीडिया एक सीध में ही देखता है जहां उसे पैसा ही नजर आता है. या यूं समझिए कि मीडिया (किसी भी प्रकार का मीडिया) एक होटल है जहां कोई भी जाए खाना पीना खाए और बिल के साथ टीप भी दें. मीडिया भी अब वैसे ही काम कर रहा है सरकार किसकी है नेता कौन हैं कौन क्या कह रहा है कोई मतलब नहीं आप हमारे माध्यम पर आएं हम आपको सर्व करने लिए तत्पर हैं, जाते जाते हमें टीप और बिल दे दीजिए हमारा काम खत्म. पहले मीडिया क्रांति के लिए जज्बा लगता था अब क्रांति के लिए कीमत लगती है.

लेखक – Om kurrey
यह लेखक के निजी विचार हैं

देश दुनिया के किसी भी चीज या मुद्दों पर अगर आप अपने विचार रखना चाहते हैं तो हमें अपने नाम के साथ लिखकर भेजिए 9301257181 पर.

PagdandiKhabar X

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *