देश की खाद्य आपूर्ति में सब्जियों के बाजार में दाम तेजी से बदलते हैं. शेल्फ लाइफ कम होने से इनकी सप्लाई लगातार जरूरी होती है। सीजनल सब्जियों के अलावा प्याज और टमाटर साल भर डिमांड में होते हैं। छत्तीसगढ़, मध्य भारत में टमाटर उत्पादन का प्रमुख केंद्र है, जहां दुर्ग, जशपुर, महासमुंद, मुंगेली और बालोद जिलों में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है। हालांकि, इस साल किसानों के लिए हालात चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। थोक बाजार में टमाटर की कीमत सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो, जबकि खुदरा बाजार में 5 रुपये प्रति किलो तक गिर गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक किसानों को लागत तक निकालना मुश्किल हो रहा है, जिससे वे हताश हैं। यदि निर्यात के नए रास्ते नहीं खुले और बाजार की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है। सरकार और प्रशासन को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
क्या है वजह:
नेपाल को छोड़कर अन्य देशों में निर्यात बंद होने से मांग घटी है।
अधिक उत्पादन के कारण टमाटर के दाम तेजी से गिरे हैं।
कुछ महीने पहले 100-120 रुपये प्रति किलो तक बिकने वाला टमाटर अब मात्र 1-5 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है।
असर:
टमाटर की राजधानी – जशपुर: यहां किसान भारी नुकसान के डर से फसल को खेतों में ही छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
1 लाख एकड़ क्षेत्र में खेती: बागबहार, चिकनिपानी, लुड़ेग और पत्थलगांव में लगभग 11,000 किसान टमाटर की खेती करते हैं।
उत्पादन लागत:
1 एकड़ में टमाटर उगाने में लगभग 2 लाख रुपये की लागत आती है।
बीज, धागा, पाइप, मल्चिंग शीट, खाद, कीटनाशक आदि लागत में शामिल हैं।
फसल 3 महीने में तैयार होती है और 7 महीने तक तुड़ाई की जा सकती है।