रेनबो पब्लिक स्कूल में मैडम को बच्चों को मारने का लाइसेंस, पिटाई के सबूत मिटाए गए, पत्रकार को मिली धमकी

जांजागीर चांपा: स्कूल में बच्चों के साथ किसी भी तरह की हिंसा, चाहे वह सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट, पूरी तरह प्रतिबंधित है. इसमें मानसिक और शारीरिक हिंसा दोनों शामिल हैं. लेकिन आए दिन हम किसी ना किसी स्कूल बच्चों के साथ हुए अत्याचार की घटना को सुनते ही रहते हैं. इसी कड़ी में चांपा स्थित रैंबो पब्लिक स्कूल (प्राइवेट) में वहां की प्रिंसिपल द्वारा दिनांक 04-09-2024 को एक 5वीं कक्षा के छात्र को मारने की खबर मिलने पर 2 पत्रकार मामले की बारीकी को समझने के लिए 05-09-2024 को स्कूल परिसर गए. स्कूल में पूछने पर पता चला कि जहां पर बच्चे को पीटा गया और मुर्गा बनाया गया वहां स्कूल के प्रिंसिपल अराधना सोनी और डायरेक्टर आशीष अग्रवाल द्वारा घटना वाले कमरे की सीसीटीवी फूटेज को डिलीट कर दिया है और कैमरा खराब होने का दावा करते हुए फूटेज देने से इंकार कर दिया जबकि बच्चों की सुरक्षा उनकी पहली जिम्मेदारी है. बात इतने पर नहीं रुकी. दोनों पत्रकारों के वहां से लौट आने के बावजूद दिनांक 06-09-2024 को स्कूल के बाहर रहने वाले एक मवाली द्वारा पत्रकार को धमकी दी गई और इस मामले से दूर रहने की बात कही गयी.

क्या है प्रावधान

नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स बच्चों पर किसी भी प्रकार की हिंसा और प्रताड़ना (मानसिक या शारीरिक) को बैन करता है और स्कूल्स को सुरक्षित वातावरण बनाने का निर्देश देता है. बच्चों पर की गई हिंसा में स्कूल या शिक्षक पर जुर्माना लग सकता है या जेल भी हो सकती है.

बच्चे ने खुद बताई आपबीती..

शिक्षा के ठेकेदार बने प्राइवेट रैंबो पब्लिक स्कूल द्वारा जब पत्रकारों को धमकाया जा रहा है, तो क्या बच्चे यहां सुरक्षित हैं या फिर बच्चे खुद भी समाज में क्या नैतिकता लेकर कल को निकलेंगे यह यह समाज पर ही बड़ा सवाल है?

पत्रकार को मिली धमकी की रिकॉर्डिंग

आशीष अग्रवाल, डायरेक्टर, आरपीएस स्कूल, चांपा

डायरेक्टर साहब ने कैमरा खराब होने की बात कही लेकिन यहां देखिए स्कूल परिसर के सारे कैमरे चालू हैं लेकिन उसी कमरे का कैमरा बंद कर दिया गया जहां घटना हुई थी –

ऐसे समाज में जब स्कूल के डायरेक्टर और प्रिंसिपल ही माफिया बने हुए हैं, उस समाज के भविष्य को पढ़ा रहे हैं. सिर्फ पढ़ा नहीं रहे, जब इनका मन करता है ये उनको पीट भी देते हैं. कल को ये बच्चे क्या सीख कर बाहर निकलेंगे और देश को क्या योगदान देंगे यह सोचनीय है.

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