डेस्क: नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा (सम विश्वविद्यालय ), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, का 74वां स्थापना दिवस 20 नवंबर को काफी हर्षोल्लास एवं उमंग से मनाया। सर्व प्रथम महाविहार के माननीय कुलपति प्रोफेसर सिद्धार्थ सिंह के नेतृत्व में आमंत्रित अतिथियों, आचार्यों, कर्मचारियों एवं महाविहार के विद्यार्थियों के द्वारा आधारशिला स्थल, पीपल वृक्ष ( महाविहार के संस्थापक द्वारा रोपित), भगवान बुद्ध, भिक्षु जगदीश काश्यप ( महाविहार के संस्थापक निदेशक) व देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ( महाविहार के संस्थापक ) की प्रतिमाओं पर पूजन हुआ पुष्प अर्पण किया गया। कुलपति प्रोफेसर सिद्धार्थ सिंह ने इस अवसर पर समस्त विश्व के मंगल की कामना की। भिक्षु धम्मज्योति के सान्निध्य में भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष ध्यान-साधना भी की गयी।
मुख्य कार्यक्रम में सर्वप्रथम महाविहार के रजिस्ट्रार व अधिष्ठाता अकादमिक प्रोफेसर दीपंकर लामा के द्वारा स्वागत वक्तव्य दिया गया। इसके उपरान्त माननीय कुलपति के द्वारा मंचस्थ अतिथियों को अंग वस्त्र तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर आदर सत्कार किया गया।
महाविहार के 74वें स्थापना दिवस के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड गेरी ने भिक्षु जगदीश कश्यप जी के जीवन व उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार की कठिन परिस्थितियों में उन्होंने प्राचीन नालंदा की विरासत को नव नालंदा महाविहार के रूप में पूरे विश्व के सामने लाया, जिसके चलते पूरा विश्व, विशेषतः अकादमिक जगत भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से अवगत हो पाया। उन्होंने बताया की भिक्षु जगदीश कश्यप के प्रयासों ने पश्चिम और पूर्व के बीच सेतु का कार्य किया, जिसके चलते अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी और दक्षिण पूर्व के विद्वान यहां आए, भगवान बुद्ध की धरती से ज्ञान अर्जित किया एवं अपने देश में जाकर उसे ज्ञान से पूरे विश्व को आलोकित किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय, वैशाली, के कुलपति प्रो. मुरारी लाल गौर ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं नव नालंदा महाविहार की नींव रखने वाले देश रत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की दूरदर्शिता पर प्रकाश डाला जिन्होंने भारत की गौरव में संस्कृति इतिहास व सभ्यता को नव नालंदा महाविहार जैसे विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से पुनर्जीवित करने का कार्य किया। अपने वक्तव्य में कैसे एग्रीकल्चर से कल्चर और कल्चर से ज्ञान अर्जन कर अग्रसर हुआ जाए, उस पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया की कृषि का प्रारंभ इस नालंदा भूमि से हुआ है और धर्म की शुरुआत भी इसी भूमि से हुई है फिर चाहे भगवान बुद्ध का धर्म हो या महावीर का, नालंदा की यह भूमि सदियों से शांति का प्रतीक रही है। इस भूमि पर आकर पता चलता है कि ज्ञान क्या है, कौशल क्या है, और प्रज्ञा क्या है और आज मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं विज्ञान की इस भूमि पर मैं इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बन पाया हूं जिसकी नींव आज से 74 वर्ष पूर्व डॉ राजेंद्र प्रसाद और भिक्षु जगदीश कश्यप के द्वारा डाली गई थी।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में नव नालंदा महाविहार के माननीय कुलपति प्रोफेसर सिद्धार्थ सिंह ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए भविष्य की कार्य योजनाओं से अवगत करवाया। उन्होंने बताया की पूर्व छात्रों को महाविहार से पुनः जोड़ना, एवं महाविहार के छात्र-छात्राओं के चहुंमुखी विकास के लिए सुविधाओं को प्रदान करना उनकी प्राथमिकताओं में है क्योंकि वे ही हमारी इस विरासत का भविष्य है, जिसका सपना इस विश्वविद्यालय के संस्थापकों ने आज से लगभग 74 वर्ष पूर्व देखा था। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि यहाँ के अध्ययन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मानविकी के विषयों से जोड़ा जाएगा। नव नालंदा महाविहार सिर्फ एक विश्वविद्यालय का नाम नहीं है अपितु विश्व में जब भी बौद्ध धर्म की बात आती है तो नव नालंदा महाविहार का नाम सर्वप्रथम बड़े ही आदर व सम्मान के साथ लिया जाता है अतः यह हम लोगों के लिए गौरव का विषय है कि हम इस महान व पवित्र भूमि में अपनी सेवाएं दे पा रहे हैं।
महाविहार द्वारा आयोजित शांति यात्राओं, संगोष्ठियों एवं अन्य अकादमिक व सामाजिक गतिविधियों पर भी उन्होंने अपने विचार रखें।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करने पर प्रोफेसर सिंह ने बताया की यह महाविहार के सभी आचार्यों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों के लिए हर्ष का विषय है एवं इसके साथ-साथ चुनौती पूर्ण लक्ष्य भी है की किस प्रकार यह विश्वविद्यालय पालि एवं बौद्ध अध्ययन के माध्यम से देश की प्रगति एवं उन्नति में अपना योगदान दे सके।
स्थापना दिवस कार्यक्रम के अवसर पर वर्ष 2024 में डॉ सुरेश कुमार, खेल प्रभारी के नेतृत्व में आयोजित विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के विजेताओं एवं उपविजेताओं को माननीय कुलपति प्रोफेसर सिद्धार्थ सिंह एवं उपस्थित अतिथियों के द्वारा सर्टिफिकेट व मेडल प्रधान करके उन्हें सम्मानित किया गया। इसके साथ-साथ ही वर्ष 2024 के मेरिट सर्टिफिकेट्स का आवंटन भी मंचस्थ अतिथियों के कर कमलों के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में प्रोफेसर विश्वजीत सिंह, अधिष्ठाता, पालि एवं अन्य भाषाएं, के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में नव नालंदा महाविहार के आचार्यों, संकाय प्रमुखों, अधिष्ठाताओं, विभिन्न विभागों व समितियों के अधिकारियों, गैर शैक्षणिक कर्मचारी, शोध छात्रों, विद्यार्थियों , नालंदा जिले के प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की बढ़-चढ़कर सहभागिता देखने को मिली।
इस कार्यक्रम के मंच का कुशल संचालन का कार्य प्रोफेसर राणा पुरुषोत्तम कुमार सिंह ने किया।