छत्तीसगढ़ के कोरबा समेत 16 अनुसूचित जिलों और 85 ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य और जनपद सदस्य पदों पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण समाप्त कर दिया गया है। अब जो सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित थीं, वे सामान्य सीटें होंगी।
नए नियम का आधार
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता। अनुसूचित जिलों में पहले से ही अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 50% सीटें आरक्षित हैं। इस वजह से अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आरक्षण संभव नहीं है।
कैसे लागू हुआ निर्णय?
पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर नया अध्यादेश लागू किया गया है। इसमें यह तय किया गया है कि जहां एससी-एसटी के लिए 50% आरक्षण है, वहां ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलेगा। जिन पंचायतों में एससी और एसटी आरक्षण 50% से कम है, वहां ओबीसी आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में होगा।
प्रभावित जिलों और ब्लॉकों का हाल
- अनुसूचित जिले: 16
- ब्लॉक: 85
कोरबा जिले में 7 सीटें एसटी, 1 सीट एससी और बाकी 4 सीटें सामान्य और ओबीसी के लिए होती थीं। अब ओबीसी के लिए आरक्षित सीट भी सामान्य हो गई हैं।
क्या है विरोध?
जिला पंचायत उपाध्यक्ष रीना अजय जायसवाल ने इसे पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय बताया। उनका कहना है कि अगर नगरीय निकायों में ओबीसी आरक्षण है, तो पंचायतों में भी यह होना चाहिए। उन्होंने इस फैसले का विरोध जारी रखने की बात कही।
प्रशासन का पक्ष
- जिला पंचायत सीईओ दिनेश कुमार नाग ने बताया कि अनुसूचित जिलों में 50% आरक्षण पहले से है, इसलिए ओबीसी सीटें सामान्य हो गई हैं।
- एसडीएम टीआर भारद्वाज ने कहा कि सामान्य सीट से सभी वर्ग के प्रत्याशी चुनाव लड़ सकते हैं।