डेस्क: अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, संस्कृति विभाग (उ.प्र.) एवं पर्यटन विभाग (उ.प्र.) के संयुक्त तत्त्वावधान में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव के अन्तर्गत ‘पालि साहित्य सम्मेलन-2024’ का आयोजन दिनांक 09 से 11 नवम्बर, 2024 की अवधि में बुद्ध विहार शान्ति उपवन, आलमबाग (लखनऊ) में संपन्न हुआ। सम्मेलन के तीसरे दिन, समापन दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि श्री असीम अरुण, माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार, विशिष्ट अतिथि मैडम रिनचेन ल्हामो, माननीय सदस्य एन.सी.एम. दिल्ली, श्री हरगोविन्द बौद्ध, का० अध्यक्ष, अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान तथा मुख्य वक्त्ता डॉ दीपक वोहरा, विशेष सलाहकार, मेड इन भारत, अफ्रीका थे।
सम्मेलन के तीसरे दिन (समापन दिवस) के कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ। सम्मेलन के तीसरे दिन 11 नवंबर को चार सत्रों में 30 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए जिनकी अध्यक्षता प्रो0 अरूण कुमार यादव, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने की। आपने बताया कि पालि भाषा बौद्ध धर्म के समझने के लिए तथ्यात्मक आधार बनी हुई है।
समापन कार्यक्रम में श्री हरगोविन्द बौद्ध जी ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया तथा बताया कि पालि भाषा जो लुप्तप्राय हो रही थी, उसको जनमान्य की भाषा बनाये जाने की दिशा में मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान कर एक सार्थक प्रयास किया गया है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ० दीपक बोरा जी ने पावर पॉइंट्स प्रजेंटेशन (पी0पी0टी0) के माध्यम से बौद्ध धर्म की वर्तमान में उपयोगिता तथा विकसित भारत की तस्वीर प्रस्तुत किया। आपने बताया कि भारत के नागरिक अपने लिए ही नही, बल्कि पूरी दुनियां के लिए जीते हैं। यहाँ के हर नागरिक में भारत बसता है। मैडम रिनचेन ल्हामो जी बताया कि भगवान बुद्ध के वचनों को सुरक्षित रखने के लिए मा0 प्रधानमंत्री जी ने पालि भाषा को शास्त्रीय दर्जा प्रदान किया इसके साथ ही बौद्ध शिक्षा एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु भारत सरकार निरन्तर सार्थक प्रयास कर रही है।
श्री असीम अरुण, माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जी ने बताया कि भगवान बुद्ध ने सामाजिक भेदभाव, जाति-पाति और धार्मिक कर्मकांडों के खिलाफ समता का सन्देश दिया। सभी को भगवान बुद्ध के मूल संदेशों को समझने के लिए पालि का अध्ययन करना चाहिए।
राजेश चंद्रा ने पूज्य भदन्त ज्ञानज्योति महाथेरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। पूज्य भदन्त ज्ञानज्योति महाथेरो को सद्धम्म, पालि भाषा व साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट और अमूल्य शैक्षणिक व सामाजिक सेवाओं, उपलब्धियों व अध्ययन, अनुसंधान एवं व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु सद्धम्म गौरव सम्मान माननीय अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया। ज्ञानज्योति महाथेरो ने बताया कि सभी को शुद्ध चित्त से कार्य करना चाहिए, जिससे बुद्ध शासन स्थापित होगा। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम-आम्रपाली नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की गयी। डॉ० प्रफुल्ल गड़पाल ने इस कार्यक्रम को अनूठा, ऐतिहासिक और सफल कार्यक्रम बताया, जिसका सम्पूर्ण विश्व ज्ञान परम्पराओं में एक विशेष स्थान होगा।
अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के निदेशक डॉ० राकेश सिंह ने बताया कि तीन दिन के 11 सत्रों में कुल 150 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, इस सम्मेलन में वियतनाम, थाईलैण्ड, इण्डोनिशिया, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार, नीदरलैण्ड, बांग्लादेश के बौद्ध विद्वान सहित लगभग 15 देशों के बौद्ध विद्वान सहित लगभग 800 से अधिक विद्वज्जन शामिल हुए जिन्होंने बौद्ध संस्कृति, बौद्ध पर्यटन, पालि भाषा साहित्य, पुरातत्व, प्राचीन इतिहास तथा भारतीय ज्ञान परम्परा पर विचार-विमर्श किया, साथ ही आपने आये हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।