इंदौर: 3 साल की वियाना ने संथारा लेकर त्यागा जीवन, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम

इंदौर में जैन परिवार की 3 वर्ष 4 माह की बेटी वियाना जैन ने ब्रेन ट्यूमर से जूझते हुए जैन धर्म की पवित्र प्रथा संथारा (सल्लेखना) ग्रहण कर अपने प्राण त्याग दिए। इस धार्मिक प्रक्रिया के 10 मिनट बाद ही वियाना ने अंतिम सांस ली। इतनी कम उम्र में संथारा लेने वाली विश्व की पहली बच्ची के रूप में वियाना का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है। जैन समाज ने इस कठिन निर्णय के लिए वियाना के माता-पिता को सम्मानित किया।

वियाना के माता-पिता, पीयूष और वर्षा जैन, दोनों आईटी प्रोफेशनल हैं। वर्षा ने बताया कि जनवरी 2025 में वियाना को ब्रेन ट्यूमर का पता चला था। 10 जनवरी को मुंबई में ऑपरेशन के बाद वह स्वस्थ हो गई थी, लेकिन मार्च के तीसरे सप्ताह में उसकी हालत फिर बिगड़ गई। 21 मार्च को जैन मुनि राजेश महाराज ने बच्ची की गंभीर स्थिति देखकर संथारा का सुझाव दिया। परिवार की सहमति से यह प्रक्रिया शुरू हुई, और मुनि के सान्निध्य में पूरी होने के 10 मिनट बाद वियाना ने देह त्याग दी।

संथारा: जैन धर्म की आध्यात्मिक प्रथा
जैन धर्म में संथारा को समाधिमरण या मृत्यु का महोत्सव कहा जाता है। इसमें व्यक्ति स्वेच्छा से अन्न-जल त्यागकर ध्यान और प्रार्थना में लीन होकर आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की ओर बढ़ता है। वियाना की गंभीर हालत को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। परिवार का कहना है कि वियाना चंचल और धार्मिक संस्कारों से परिपूर्ण थी, जिसने इस कठिन फैसले को संभव बनाया।

जैन समाज में प्रेरणा का विषय
वियाना की यह आध्यात्मिक यात्रा जैन समाज के लिए गहन विचार और प्रेरणा का विषय बन गई है। बुधवार को इंदौर के कीमती गार्डन में आयोजित समारोह में जैन समाज ने पीयूष और वर्षा जैन को सम्मानित किया। माता-पिता का कहना है, “वियाना ने जैन धर्म के सर्वोच्च व्रत को अपनाकर इतिहास रच दिया। उसकी यह यात्रा हमारी आस्था का प्रतीक है।”

विवादों से घिरी प्रथा
संथारा की प्रथा समय-समय पर विवादों में रही है। 2015 में राजस्थान हाई कोर्ट ने इसे आत्महत्या के समान मानकर प्रतिबंधित किया था, लेकिन जैन समुदाय के विरोध के बाद यह मामला चर्चा में रहा। जैन विद्वान इसे अहिंसा और आध्यात्मिक शुद्धि की प्रक्रिया मानते हैं।

वियाना की कहानी न केवल जैन धर्म की गहरी आस्था को दर्शाती है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और बलिदान की भावना को भी उजागर करती है।

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