‘स्तन दबाने’ वाले हाइकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, बताया असंवेदनशील

नई दिल्ली, 26 मार्च 2025: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें कासगंज के एक नाबालिग से यौन हिंसा के मामले में बलात्कार के आरोप को कम किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को “असंवेदनशील” करार दिया और स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की।

मामला 2021 का है, जब कासगंज में 11 साल की लड़की के साथ दो युवकों ने कथित तौर पर छेड़छाड़ की थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 17 मार्च 2025 को कहा था कि यह बलात्कार नहीं, बल्कि “महिला की गरिमा पर हमला” है। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।

25 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपने हाथ में लिया और 26 मार्च को जस्टिस बी.आर. गवई की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। कोर्ट ने कहा कि यह कानून और संवेदनशीलता के खिलाफ है। अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय होगी।

इस फैसले से देश भर में बहस छिड़ गई। केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, स्वाति मालीवाल और अन्य नेताओं ने हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना की। जनता ने भी सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई।

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम पीड़ित परिवार के लिए उम्मीद की किरण है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला यौन हिंसा के कानूनों पर नई मिसाल कायम कर सकता है।

हाइलाइट्स:

  • नवंबर 2021: कासगंज में 11 साल की नाबालिग के साथ छेड़छाड़ की घटना।
  • जनवरी 2022: पीड़िता की मां ने पोक्सो कोर्ट में शिकायत दर्ज की।
  • मार्च 2022: पुलिस ने मामला दर्ज कर पोक्सो और आईपीसी के तहत समन जारी किया।
  • 17 मार्च 2025: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बलात्कार के आरोप को कम कर “गरिमा पर हमला” माना।
  • 26 मार्च 2025: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

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