जांजगीर-चांपा: जिले के बलौदा में स्थित शासकीय कन्या प्राथमिक/उच्च प्राथमिक शाला में शिक्षक द्वारा स्कूल की मासूम छात्राओं से खराब मौसम में काम कराया जा रहा था, स्कूल जाके पता करने पर पता चला कि वहां की सुप्रीमो शिक्षिका छुट्टी पर हैं और उन्होंने किसी और को प्रभार दे रखा है,
जिनको प्रभार दिया गया था उनसे बात करने पर पता चला कि “ये कैसे हो गया उन्हें पता नहीं” और वो किसी प्रकार से इस मामले में जवाब देह नहीं हैं, उन्होंने स्कूल में ही कार्यरत सहायक शिक्षक मुकेश साहू को इस काम के लिए कहा था और इस मामले का जवाब भी वही देगें. चूंकि लंच का समय था थोड़ी देर इंतजार कराने के बाद मास्टर जी भी आ ही गए और उनसे पूछने पर पता चला कि ये सामान तो उनके प्राइमरी स्कूल का है ही नहीं!
दरअसल ये सामान उसी परिसर में सटे दूसरे स्कूल का है, और इस स्कूल के जिम्मेदार शिक्षक साहब ने गलती से ये सामान अपने स्कूल में उतरवा लिया क्योंकि ट्रक में सामान लाने वाले ड्राइवर ने उनसे जल्द से जल्द सामान उतारने को कहा और बच्चों को भविष्य की शिक्षा देने वाले गुरुजी ने बिना वेरीफिकेशन के ही स्कूल के मासूम बच्चों को सामान ढोने में लगा दिया, जबकि विभाग द्वारा आए सूचना में साफ लिखा हुआ है कि “संस्था में सामग्री निशुल्क परिवहन द्वारा उपलब्ध करायी जा रही है तथा शाला के किसी भी छात्र अथवा कर्मचारी द्वारा सामग्री उतारकर कक्ष में नहीं रखा जाएगा. फर्नीचर अनलोडींग कर कक्षा में पहुंचा कर रखने की जिम्मेदारी फर्म की होगी” विभाग द्वारा साफ साफ लिखे शब्दों को भी शिक्षक ने अनदेखा करते हुए जानबूझ कर छात्राओं को इस काम में लगा दिया. अब सवाल ये है कि उन बच्चों को चोट लग जाती या उनके साथ कुछ हादसा हो जाता तो जिम्मेदारी किसकी होती?
इस मामले की जानकारी होने के बावजूद भी अब तक विभाग की ओर से कोई भी उचित कार्रवाई न करना जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाता है?