किसान बैंक में मैडम की मनमानी…पूछने वाला कोई नहीं?

खेती किसानी के दिनों में सुबह-सुबह एक गरीब किसान उठता है, भागते हुए अपने खेतों के सारे काम निपटा कर वहां जाता है जहां सरकार ने उनकी फसल की कमाई का मेहनताना रख रखा है यानी की केंद्रीय मर्यादित बैंक की शाखा, ये वही जगह है जहां पर किसान सैकड़ों की भीड़ में बाकायदा लाइन लगाकर कर अपनी बारी का इंतजार करता है, अमूमन बैंको के खुलने का समय 10 से 10:30 बजे होता है लेकिन किसान 9 बजे से ही अपना पर्चा भर कर तुक-पाक उस ओर निहारते रहते हैं जहां से बैंक के कर्मचारी अंदर आते हैं, कोई बिना खाए आये रहता है तो कोई खाना साथ लेकर चलता है ताकी ज्यादा लेट हो जाने पर बैंक शाखा के किसी कोने में बैठ कर अपना पेट भर सके, लेकिन ये बैंक के कर्मचारी खास कर किसान बैंक यानी केंद्रीय मर्यादित बैंक के कर्मचारी बैंक पहुंचते हैं लगभग 11 या 11:30 बजे या कई बार तो 12 भी बज जाते हैं ये बैंक कर्मचारी अपनी मनमानी इसी लिए चलाते हैं क्योंकि इनको भी अच्छी तरह से पता है कि ये गरीब किसान जो सिर्फ चंद रुपयों के लिए लाइन में खड़ा है वे आवाज नहीं उठाने वाले ज्यादा से ज्यादा ये सुबह बैंक खोलने वाले चपरासियों से ही लड़ सकते हैं क्योंकि की बैंक कर्मचारियों के आ जाने पर ये साहब-मैडम नमस्कार कहते हुए तत्परता से अपने लाइन में खड़े हो जाते हैं…ये हाल छत्तीसगढ़ में संचालित कई केंद्रीय मर्यादित बैंकों का है.

खबर है जांजगीर चांपा जिले के बलौदा ब्लॉक में स्थित केंद्रीय मर्यादित बैंक का जहां पर कर्माचारी अपनी मर्जी से आते हैं, इनसे लेट-लतीफी के बारे में पुछने वाला भी कोई नहीं है.

वीडियो 8 अगस्त की सुबह का है, इस कुर्सी में एक मैडम बैठती हैं जिनका काम कैश निकालने वाले लोगों के क्यू को अप्रुव करना है लगभग 12 बज जाने के बाद भी ये मैडम अपनी सीट पर नहीं बैठी हैं लोगों ने कहीं से इनका जुगाड़ा और फोन किया जिसका इन्होंने कोई रिप्लाई नहीं किया थक हार कर लोगों ने मैनेजर साहब को भी फोन मिलाया लेकिन वो साहब छुट्टी लेकर बाबा धाम गए हैं, जाएं भी वो उनका निजी काम है लेकिन शायद मैडम मनमाने इसी लिए हो गई थीं कि अभी उन्हें लेट आने पर टोकने वाला कोई नहीं है. वहां मौजूद जनता के सामने बैंक में आ चुके कुछ कर्मचारी ने मैडम को फोन मिलाया लेकिन मैडम ने ना तो फोन उठाया और ना हीं लेट आने की रिपोर्ट किसी कर्मचारी से की. किसी को बताया भी हो तो ये विभाग की अंदर की बात है लेकिन मुहतरमा ने वहां मौजूद किसानों के काम और टाइम को छोटा या बेकार आंकते हुए टाइम पर बैंक में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं करायी. ये किसकी जवाबदेही है? मैडम के लेट आने की वजह से लोगों में गुस्सा तो जरूर था लेकिन इनके आते ही लोग मैडम नमस्ते कहते हुए अपना-अपना क्यू पास कराने के लिए फिर लाइन में खड़े हो गए….

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