छत्तीसगढ़ में हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है, यहां जिसको मौका मिलता वही बेइमानी करने से बाज नहीं आता, खास कर ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार के चारे से पंचायतों से जुड़े लोगों का पेट पल रहा है, पंचायतों में धांधली भी इस लिये ज्यादा होती क्योंकि यहां की जनता अपने प्रतिनिधी से सवाल नहीं पूछती है?
यह तस्वीर ग्राम पंचायत डोंगरी के आश्रित ग्राम काठापाली में हुए नाली निर्माण का है, तस्वीर से आपको साफ समझ में आ रहा होगा कि नाली को उपर से ढकने वाले ढक्कन में ना तो रॉड लगा है ना ही इसकी गुणवत्ता की जांच की गयी है, इस ढक्कन के ऊपर अगर कोई मवेशी, इंसान या फिर गाड़ी गुजरता है तो देर सवेर उसका गर्त में जाना तय है, क्योंकि मजबूती के नाम पर यहां तो सिर्फ मजाक हुआ है, और खास बात यह है कि ये सब ठेकेदार और सरपंच सचिव इंजीनियर के देखरेख में हुआ है. पंचायत के मुखिया को सरकारी पैसे को अपने खाते में लाने की इतनी जल्दी थी कि उन्होंने गुणवत्ता को सबसे अंत में रखते हुए निर्माण करा दिया. और नाली का निर्माण भी तब हुआ है जब सरपंच साहब का कार्यकाल समाप्ति की ओर है. ताकि कोई मुखिया के मुह ना लग सके?
काठापाली आश्रित ग्राम है जो ग्राम पंचायत डोंगरी के अधिन आता है, इसी वजह से यहां पर विकास की गाड़ी सीधे तौर पर कभी नहीं पहुंच पाती है कई पंचवर्षी से जनता नाली निर्माण की गुहार लगा रही थी जो अब जा कर बना है लेकिन यह निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया.
इस नाली का निर्माण कीर्तन घर से कोदू डबरी तक होना था पर नाली को प्रेमलाल डहरिया के घर से कोदू डबरी तक ही बना कर छोड़ दिया गया है, इस काम के लिए सरकार ने सरपंच साहब के हाथों में 1.70 लाख रुपये सौंपे थे लेकिन साहब ने इतने पैसे नाली ही बहा दिए. ना सही से निर्माण कराए ना ही इसकी गुणवत्ता को कोई खासा ध्यान रखा गया है?
यह सरकारी लिस्ट है आप इसमें 44 नंबर का कॉलम देखिए जिसमें साफ साफ लिखा हुआ है – काठापाली में कीर्तन घर से कोदू डबरी तक आर सी सी नाली का निर्माण उसके आगे ग्राम पंचायत का नाम है डोंगरी फिर सरकार ने कितना पैसा दिया है 170000.00 रुपये उसका ब्यौरा लिखा है फिर कितना पैसा शुरुआत में निकाला गया है उसके बारे में जानकारी है.
गांव में स्वच्छता के कराए गए निर्माण आपको साफ साफ भ्रष्टाचार नजर आ रहा होगा.
सरपंच साहब और सविचजी की हिम्मत देखिए ग्राउंड में जो काम अपूर्ण है वह सरकार की नजर और कागजों पर पूर्ण हो चुका है-
तभी तो डंके की चोट पर बोर्ड लगा कर फोटों भी खींचा जा चुके है कि काम चकाचक हो चुका है लेकिन हकीकत में काम अधूरा और खराब है. खास बात यह है कि इस बोर्ड को सिर्फ उतनी ही देर तक लगाया गया था जब तक सरकार को चुना लगाने के लिए मटेरियल तैयार नहीं हो गया. जैसे ही काम पूर्ण के बोर्ड की तस्वीर ली गयी उसके बाद यह बोर्ड गायब हो चुका है, अब ग्राउंड पर जाने से आपको ना ही ये बोर्ड नजर आएगा ना ही कीर्तन घर से कोदू डबरी तक पूर्ण निर्मित नाली दिखाई देगा. इस नाली बित्तेभर की कमजोर नाली में सरपंच सचिव जी ने 1.70 लाख सरकारी रुपये कहां बह गए पता ही नहीं चला?
यह तो सिर्फ 1 ही धांधली की तस्वीर है आप खूद ही सोचिए कि 1 पंचवर्षिय शासन में ऐसे कितने भ्रष्टाचारों पर मिट्टी डाल दिया गया होगा?