रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में जांजगीर-चांपा विधायक ब्यास कश्यप और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के बीच जोरदार बहस देखने को मिली। विधायक ब्यास कश्यप ने जिला अस्पताल जांजगीर के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. दीपक जयसवाल पर कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अस्पताल में अव्यवस्था फैली तो उसकी पूरी जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ सरकार और स्वास्थ्य मंत्री की होगी।
विधायक ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारी सिविल सर्जन के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं और लगातार शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं। उनकी शिकायतों में सीआर खराब करने की धमकी, रिश्वत मांगने और मनमानी करने के आरोप शामिल हैं। कर्मचारियों द्वारा हड़ताल किए जाने से अस्पताल की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं और मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सभापति महोदय जिस प्रकार से मंत्री महोदय यह आरोप लगा रहे हैं कि वहां की नर्स वहां के स्टाफ के अन्य कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं, जब 10 दिनों में डॉक्टर की 5066 ओपीडी हो रही है तो क्या यह ओपीडी सिविल सर्जन देख रहे हैं या डॉक्टर देख रहे हैं, वहां पर पर्याप्त काम हो रहा है। मैंने अवगत कराया की 100 बेड के हिसाब से वहां 47 स्टाफ की आज भी कमी है 190 से अधिक लोग वहां पर बेड की व्यवस्था कर रहे हैं, काम अधिक कर रहे हैं पर अगर किसी एक व्यक्ति से नाराजगी रहती तो समझ में आता है। एक व्यक्ति से स्टाफ परेशान है मंत्री जी सिविल सर्जन को बचाने का प्रयास क्यों कर रहे हैं ? – ब्यास कश्यप, विधायक, जांजगीर-चांपा
नेता प्रतिपक्ष ने तबादले का दिया सुझाव
इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने भी स्वास्थ्य मंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि वह क्यों लड़ाई-झगड़ा करवा रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि प्रभारी सिविल सर्जन के खिलाफ इतना आक्रोश है तो उन्हें दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने बचाव करते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीम गठित की गई है और रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

मंत्री रिश्तेदार, कलेक्टर मित्र
विधायक ब्यास कश्यप ने सवाल उठाया कि जांच के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रभारी सिविल सर्जन प्रशासनिक संरक्षण का लाभ उठा रहे हैं और कर्मचारियों पर दबाव डालने के लिए यह कहते हैं कि कलेक्टर उनके मित्र हैं और स्वास्थ्य मंत्री उनके रिश्तेदार हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कर्मचारी सामूहिक इस्तीफा देते हैं तो उसकी पूरी जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री की होगी।
स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने विधानसभा में ऐलान किया कि पूरे मामले की विस्तृत जांच करवाई जा रही है और सात दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि किसी भी प्रकार की अनियमितता या पक्षपात की पुष्टि होती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।